अस्सी बरस ऊपर लगी, बिरध अवस्था होय।

आगै की थिरता नहीं, पिछल गई सब खोय॥

स्रोत
  • पोथी : सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश ((जन्मदशा अंग से) ,
  • सिरजक : सहजो बाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस, प्रयाग ,
  • संस्करण : सातवां संस्करण