असंतोष ते नष्ट दुज, संतोष ते सुराज।

नष्ट अलज कुल की वधू, गनिका नष्ट सुलाज॥

स्रोत
  • पोथी : उम्मेद ग्रंथावली ,
  • सिरजक : उम्मेदराम बारहठ ,
  • संपादक : मंजुला बारैठ ,
  • प्रकाशक : कलासन प्रकाशन, बीकानेर। ,
  • संस्करण : प्रथम