अकबर खळ घेरी इळा, घण माच्यौ घमसांण।
अबखी पुळ आयौ मरद, मदत करण मकवांण॥
दुष्ट अकबर ने महाराणा की भूमि मेवाड़ को घेर लिया, और(हल्दीघाटी के मैदान में) बड़ा ही घमासान युद्ध हुआ, उस संकट की घड़ी में अपने मालिक की आज्ञा से विरवर झाला मान उनकी सेवा में मदद करने जा पहुंचा॥