अभमल सूरज हिंदवां, जस सूरज्ज उजास।
कुळ सूरिज वरणै सुकवि कह सूरज परकास॥
वरणवि कवि रघुवंसियां, सोभा जग सिरताज।
जिण कुळ मांहै ऊपजै, रांमचंद्र महाराज॥