आस पास सायर तणै, आंबा केळि अपार।

चंपा ताड़ खिजूरियां, सीसुंम चंदण सार॥

वड़ पीपळ जांबू बिरख, नींबू नींब पळास।

आसू पीळा अति सरस, आधोफरै अकास॥

साग साल मलियागरी, वळि नाळेर विदांम।

सोपारी खिरणी सरस, हेम हवा तिहि ठांम॥

दाख मोगरौ केतकी, दाड़म वेल गुलाब।

पाटळ जूही केवड़ौ आंवळ चंबेलि आंब॥

बोलसरी नारंगियां, अखरोटां अंजीर।

सेव सेवती अति सरस, गहरा बिरख गहीर॥

फूलत कवळ कमोदणी, अपनी अपनी बेर।

चिहूं ओर गूंजत रहै, भवरन ही को घेर॥

नागरवेल लवंग की, सोहत लता अपार।

डोडा पिसता खारकां, व्रच्छ अठारै भार॥

नोजा चिरुजी जायफळ, अनंतास अणछेह।

सीताफळ जंभेरियां, करणा बरणा केह॥

सोरंभा केसर अगर, रहै जायफळ फूल।

लालकणेरां अर समी, फिर कहुं कहूं बबूळ॥

स्रोत
  • पोथी : गज उद्धार ,
  • सिरजक : महाराजा अजीतसिंह ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध-संस्थान चौपासनी, जोधपुर।