आड़वो चरै चरण द्यै,मांणस की उंणिहारि।

कहि केसो पारखो, सूम असौ संसारि॥

केसोजी इण पद रै माध्यम सूं सूम - माया संवाद रै मांय कंजूस लोगां नै समझावै है कि दान नहीं दैवण वाळौ आदमी अड़वै रै सरीखौ होवै है। जकौ तो खुद दान पुन्य करै कर दूजां नै करण दै॥

स्रोत
  • पोथी : हिंदी संत परंपरा और संत केसो ,
  • सिरजक : संत केसोदास ,
  • संपादक : सुरेंद्र कुमार ,
  • प्रकाशक : आकाश पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स , गाजियाबाद - 201102 ,
  • संस्करण : प्रथम