आड़वो चरै न चरण द्यै,मांणस की उंणिहारि।
कहि केसो ओ पारखो, सूम असौ संसारि॥
केसोजी इण पद रै माध्यम सूं सूम - माया संवाद रै मांय कंजूस लोगां नै समझावै है कि दान नहीं दैवण वाळौ आदमी अड़वै रै सरीखौ होवै है। जकौ न तो खुद दान पुन्य करै कर न दूजां नै करण दै॥