तांतलीया तुरंगम खड़ खग लीना,
जुड़वा रथ जोगणपुर जाय।
असपत राव तणा दळ आया,
तिलोकसी नह विसरै ताय॥
भणै तील्ह रिणभोम भयावण,
डरियां मूंम डरायो।
नर नीसरै जकै सनियाई,
अनियाई हूं आयो॥
अविहड़ मन जसहड़ अंगोभ्रम,
वडफर वजै न विहंडै वंस।
तील्हा तणो कोट बकारण,
हांमूं करतो उडियो हंस॥