गुडै़ बंब नीसाण नै झिल पड़ै गिरवरां,आज रा पुंन पालग आवौ।
धुंधले बादळे इंद बरसो धरा, छेलि संसार आकास छावौ॥
उपजै हरी चीहनारि इला उपरै, सरव सीतळ हुवै व्रंभ सारा।
ध्यान मोरा तणौ ग्यान मोटा धणी,धेन प्ये नीर आसीस धारा॥