गुडै़ बंब नीसाण नै झिल पड़ै गिरवरां,आज रा पुंन पालग आवौ।

धुंधले बादळे इंद बरसो धरा, छेलि संसार आकास छावौ॥

उपजै हरी चीहनारि इला उपरै, सरव सीतळ हुवै व्रंभ सारा।

ध्यान मोरा तणौ ग्यान मोटा धणी,धेन प्ये नीर आसीस धारा॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी रामायण ,
  • सिरजक : महात्मा सुरजनदास पूनिया ,
  • संपादक : कृष्णलाल विश्नोई ,
  • प्रकाशक : हिंदी विश्वभारती अनुसंधान परिषद्, बीकानेर (राजस्थान) सन् 1992
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