इळा ऊकटै काट हेथाट भेळै अभंग, अकळ दोय वात संसार आखै।

राह हिंदू तणौ साह औरंग रुकै, राह हिंदुवां तणौ दुरग राखै॥

खेघ चढिया धरा वेधि विहूं खड़खड़ै, सुध्रम राखण जुगां सारू।

म्रजादा वेद री खूंद मेटण मतै, म्रजादा वेद री गह्यां भारू॥

पटक रहिया घंणूं कटकता असपति, मुरधरा काज अर घरा भारी।

पालटै तखत पण धरम नह पालटै, धरम री सरम करणोत धारी॥

देवड़ा कूरमां अनै हाडा दुगम, चमक चीतोड़पत दीध चांटी।

नींब हर कमधजां चाळ बांधत नहीं, मुखां कलमां पढ़त घणा मांटी॥

स्रोत
  • पोथी : कुंभकरण सांदू ,
  • सिरजक : कुंभकरण सांदू ,
  • संपादक : नारायण सिंह सांदू ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध-केन्द्र, दुर्ग, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम