इण वयण सुणि कपिरावरा, रघुवीर हाकलि वंदरां।

दौड़िया लंका लियण दारुण, वधे कपि विकराळ॥

हुय बौतकारां हौफरा, धर अंबर थरहर धरहर।

वरतूर त्रंब सर अडर वीफर।

भेर सँख सुर गहर धर भर।

अमर वर रथ सोक अपछर।

वीर हर कर डंबर रिखवर।

नहर धर पर घौख नाहर।

धुंवर रज भर झँखर तप धर।

सर जहर उडि धोम धर सर।

रीठ तर पड़ि वजर गिरउर।

चौ तरफ घमचाळ॥

तदि मंत्रि संभरि महिपती, रणि रांमण रघुपती।

कांगुरे कांगुर दीठ बह कपि, लूंबिया धक लागि॥

मद-गंध जिम सँक नहि मनै, अति हाकले असुरांणनै।

दौड़िया खळ दळ सबळ दमगळ।

छिब कमळ नभ सकळ बळछळ।

हुबि जुगळ धुबि लोह झळंहळ।

विमळ जळसर फूटि वळवळ।

बहल ससियळ धमक सावळ।

वहै कळकळ प्रबळ वीजळ।

चकळ इळतळ वितळ चळचळ।

मँगळ झळ चँड धमळ मंगळ।

विढ़ै सूर व्रजागि॥

बोह पड़ै धड़ धड़ बेहड़ा, जुधि लड़ै भड़ जम जेहड़ा।

जुध-दुंद राघव अनै इंद्रजित भयांणक पड़ि भार॥

उण वार रात नद ऊझळै हुय हाक धर गिर हलहलै।

झड़ अनड़ उड रव बांणि बहिझड़।

उरड़ अपहड़ दुजड़ औझड़।

कर डंमर गड़ बरड़ कर धड़।

लुड़त तड़फड़ जुटत लड़थड़।

बढ़ि कँधड़ मुख करत बड़बड़।

फरड़ फिंफरड़ कळिज फड़फड़।

फील घड़ पड़ ग्रझड़ झड़फड़।

हुय दड़ड़ रत मुनंद हड़हड़।

पड़े दळ अणपार॥

सत्र हणै बळ समराथरा, रिण लड़ै भड़ रुघनाथरा।

तदि लखण अंगद सुग्री हणवंत, नील नळ नर नाह॥

जामवँत कुध झळ जळहळी, सुक्खेण मयंदह सतबळी।

कपि कटक हूचक कटक दैतक।

उरक वेधक सरक अेतक।

अँतक तक भड़ भचक इक इक।

पड़ि जरक मुद गरक पासक।

धमक सेलक बँबक धकधक।

तदि उवकि पत्र चँडिक त्रपतक।

चहक पावक वभक चहुं चक।

तद अरक रथ थरक कौतिक

उदधि रण अणथाह॥

स्रोत
  • पोथी : सूरजप्रकास ,
  • सिरजक : करणीदान कविया ,
  • संपादक : सीताराम लालस ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण