भई भूप कीधा ग्रन्थ नाथ चरित्र मजुसा उभै,

रीधा सुणै प्रथीतणा कविराजा राव।

सबहां अरथ्थां बुधां मनां रा मोहिया सारा,

जाणजै सोहिया हीरा पनांरा जड़ाव॥

दूजाजसा जहांन में जणाया सुबुधां जूदौ,

छंदा रथां नौखा भाव अणायां सुछंद।

तरफ़्फ़ां भगती ग्यान उकनी छणायां तत,

बणाया सबदां छदां जवाहारां व्रंद॥

नौखां चौखां उबारणां भाभी श्री गुमांननंद,

जांमी नाथ गाथरी कारणमई जौत।

प्राचीन रूपकां सिरै नवीन बाणकां प्रभा,

ओपमा जे हीरां पनां मांणका उदौत॥

नाथ रै प्रताप अैहा ग्रन्थ रचै प्रथीनाथ,

उक्कतां अरथ्थां छंदां जोड़ै नावै आंन।

यंद महिलोक राज वंसा छत्र हिंदगणै,

महाराजा जौधाणे चिरंजी तपौ मांन॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य सम्पदा ,
  • सिरजक : चैनकर्ण सांदू ,
  • संपादक : सौभाग्य सिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम, बीकानेर। ,
  • संस्करण : प्रथम