मोरो मन माधवे लागौ, मदसूदने मुरारे।

नारायणे रामे नरसिंघे, दामोदरे दातारे।

सतीभामा रामा हित संगे, सामी रुद्र वंभे।

वर सीत दे रुखमणी, विंदलिखमी, वालंभे।

धरणीधरे धरा दढ धारे, हरे पदम चक्र हाथे।

संक रखणे साईये सेखे, जळ साईये जगनाथे॥

स्रोत
  • पोथी : बाघा रा दुहा (चारण समाज के गौरव) ,
  • सिरजक : आशानंद बारहठ ,
  • संपादक : जगदीश रतनू 'दासौड़ी' ,
  • प्रकाशक : जगदीशराज सिंह 'डांडूसर' ,
  • संस्करण : प्रथम
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