गीत राणा प्रतापसिंघ रौ

 

मुंहिं मुंहिं मारकां भाड़ां मेवाड़, गजदळ हेड़वता सगह।
धणीस न्याइ कहावैं धरती, पताज तो जिम जड़ैं पह॥

अणी अणी अरि सौं आफळता, पालै हसति भुजे करि प्रांण।
रूके भिळैं तूझ जिम रांणा, रेणा तियां वसि आवै रांण॥

फरि फरि फौज फौज फुरळंता, वयंड हांकतां वीरत वाई।
नळ व्रन हणे लई नागद्रहा, निधि सुन पहड़्यौ तेणि नियाइ॥

नाग बंगाळ असंख नीजामे, श्रोणि ध्रवी खत्रवाट सहाइ।
असिवर तणी इळा ऊदाउत, आवी अगैस अेणि उपाइ॥

स्रोत
  • पोथी : जाडा मेहड़ू ग्रंथावली ,
  • सिरजक : जाडा मेहड़ू ,
  • संपादक : सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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