करहूत कूची कर कसी, वंकनाल वाटी उर वसी।

होय सरधा जुग तहा की, पदम आसन पूर।

विखमाह घाटी आवियो, दुय तरफ़ दाट दबावियो।

दबत तरतर परह दररर, थरक करकच सरर थररर।

खरर परजह उदर खररर सरब रग रग हुयह सररर।

करर धर पर परर कररर, डगर मन तह गयह डररर।

घहर गज सर परर घररर, झरर अमृत नीर झररर।

सरल ऊगो सूर॥

लहरांन थूलह लागियो, तद मनह चेतन त्यागियो।

भयो धड़ धड़ देह भारी, हुवो थड़ थड़ हात।

नवसत्त नंदी श्रुगनमी, जद सुरत त्रगुटी विच जमी।

जमत उजवल हुयह झललक, भलक जबलक भांण भललक।

सलक बिजलक पलक सललक, खलक सबलक गंग खललक।

टलक गटलक पाय टवलक, मलक मनलक भ्रगुट मलवक।

छलक विछलक छांड छलनक, थलक न्रिमलक थाट थपलक।

सजै आनद सात॥

मिल आय मुद्रा उनमुनी, ज्ञानीह मुद्रन फिर गुनी।

पेख अवचल द्वार पूजी, आस निज घर आय।

बाजंद अनहद बाजियो, गहरान अम्बर गाजियो।

गजत गयणग मनग सुणगण, झणण झीझण वयण झणझण।

टणण बंसिण नाद सण सण, तंत तण वण वैण तण तण।

खणक झालर ठणक खणहण, भणक घण वण भैर भण भण।

बहुर ढोल बजाय॥

बड़ सोर आरब बाजियो, भव दुःख दूरद भाजियो।

होय सरधा हीन हारै काम क्रोध कूं टांन।

भग मोह मच्छर लोभ ही, मिल पड़ै परिजन ले मही।

पड़त तड़फड़ पकड़ पगकड़, अरड़ धावत अलड़ अड़बड़।

खड़ड़ बाहड़ पड़त खड़बड़, गपड़ सपड़ड़ छांड़ मनगड़।

सड़ड़ पांचड़ चड़ड़ सड़बड़, लठड़ पाचड़ थाक लड़थड़।

झगड़ लड़ भड़ मित्र अरझड़, अरुड़ राजड़ थाप अवचड़।

गढां वंक गुमान॥

स्रोत
  • पोथी : गुमान ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ठाकुर गुमानसिंह ,
  • संपादक : देव कोठारी ,
  • प्रकाशक : साहित्य संस्थान, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम