मत जोजे मात बंदगी मारी, धणियप नजरां बिरद धरे।

आगै अगे-अगे रे आई, किधी ज्यूं प्रतपाळ करे।

मेहासिधू राजरो मोनै, सूझै एक आसरौ स्याप।

ऊपर करण तणी पुळ आई, ऊपर करण पधारौ आप।

दुखरा दीह मिटावण दूजौ, करनी तूज विनां नह कोय।

‘बाळक’ तणी भाळे बिंदगी, जणणी तूझ वडापण जोय।

‘बुधियौ’ कहै डूबता बेड़ा, सायर मांय लियो कर स्याय।

करपा करे पधारौ करनी मारी स्याय करेवा माय।

देस-विदेस दुआं दैसांणे, जोगण सुणजो साद जियां।

आईनाथ ऊबरां अबकै, जोगण सुणजो साद जियां।

स्रोत
  • पोथी : दरजी मयाराम री बात ,
  • सिरजक : बुधजी आशिया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया