गीत राणा प्रतापसिंघ रौ

 

हठमल्ल मांझी हींदूवांणै, ताईयां सौं मूंछ तांणै।
जगत सौह जग जेठ जांणै, इसौ रांणौ आप॥

हेक ताई कुळवाट हालै, भिड़ण बांधै नेत भालै।
साह अकबर हीयै सालै, तूझ तेग प्रताप॥

राइहरा अनि रूप राखै, दुजड़ मेछां मार दाखै।
पुळे जाएं खता पाखैं, पेखि मांण प्रमाण॥

भिड़े रिणि गज-थाट भांनैं, विढ़ण चाढै़ सिंघ वानै।
मीर सांचौ जोर मानै, खाग तो खूमांण॥

खत्र धणी खत्रवाट खेलै, थाट जोगणिपुरा ठेलै।
झूझ भुज्जां प्रांणि झेलै, विढै़ जूह विडार॥

रांण रिणि जयथंभ रोपै, कुंभ करिव हणै कोपै।
लीह नह पतसाह लोपै, सींघ-संभव सार॥

स्रोत
  • पोथी : जाडा मेहड़ू ग्रंथावली ,
  • सिरजक : जाडा मेहड़ू ,
  • संपादक : सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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