असथामां उदियासिंध आगळां केलणहर पांडवहर काजि।
राउ परीखित डूंगरसी राखण, हरी चक्र खग सजियौ हरराजि।
संभव द्रोण मालदे सभव, कसट दूद अहिवन सुत कंद।
रथ अंग खाग तणै वळि राखण, नंदन माल अनै नंद नंद।
पालण बाण कमध दळ पालण, सहुं अर भगत कजि असहाय।
आप परकाम भुज आवरिया, बिहुं जादवे चकर बाणास।
जुजिठळ देवादि पडंवहर जोवतां, धणूं जोवतां केलघरि।
किण्ही ऊवेल विये नह कीधौ, हरे ऊवेल ऊवेल हरि॥