श्राइ राउ सरिस वंदता समसरि, वसुहतरि जोवतां बिचार।

उदयसिंघ सीस अणनमियै, कया सगरवित हींदूकार॥

असपति सोचावति आखंतां, पूरौ बोलै पूठि पकरै।

कमल राण नमै तिणि कारणि, धड़ राइहर मन मछर धरै॥

सुरताणवै अनै सीसोदा, जामल व्योहो असमाण जगीस।

उतमंग राण सलामि आवै, पिण्ड अंजसियै कुल पैंत्रीस॥

साह परति संग्राम-साह सुत, निकलंक उदयसींघ नर।

पह गह अंग अचल सिर पेखौ, ध्रू अंबर जां लगे धर॥

स्रोत
  • पोथी : डूंगरसी रतनु ग्रंथावली ,
  • सिरजक : डूंगरसी रतनू ,
  • संपादक : सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै