भाटां लाग खरच रौ भांजे, डूंबा भांजे डारा।

भांजण रजक बांमणां, भाटां, देह धरी सिरदारां॥

भगतण पातर भांड भवायां, महतादां ज्यां मेटौ।

मेटण खैर जागिया मांटी, खैर लगासी खेटौ॥

सुहड़ां सीख घरांने समपे, गोढे राखो गोला।

रुपया जाय भरौ अंगरेजा, बंगळै बोला-बोला॥

धणियां हमें दिनां में घर ती, जाती घर ती जांणौ।

मिटियौ त्याग जिकण रै मोरे मरदां खाट मिटांणौ॥

मुरधर तणा सलीके मरदां, एक रती नह आणी।

सकळ प्रमांणै काथ संभायौ, जगत अकल सह जांणी॥

स्रोत
  • पोथी : दरजी मयाराम री बात ,
  • सिरजक : बुधजी आशिया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया