मुंहिं मुंहिं मारकां भाड़ां मेवाड़,
गजदळ हेड़वता सगह।
धणीस न्याइ कहावै धरती,
पताज तो जिम जड़ै पह॥
अणी अणी अरि सौं आफळता,
पालै हसति भुजे करि प्रांण।
रूके भिळैं तूझ जिम रांणा,
रेणा तियां वसि आवै रांण॥
फरि फरि फौज फौज फुरळंता,
वयंड हांकतां वीरत वाई।
नळ व्रन हणे लई नागद्रहा,
निधि सुन पहड़्यौ तेणि नियाइ॥
नाग बंगाळ असंख नीजामे,
श्रोणि ध्रवी खत्रवाट सहाइ।
असिवर तणी इळा ऊदाउत,
आवी अगैस अेणि उपाइ॥