छटी पराई जागणो आपरा कुळै छळ,

ऊपरां नरां जिम गिरां आबू।

कवण दध उलांडै गयण मापै कवण,

प्रवाड़ै पार कुण लहै पाबू॥

सिव तणा जोग चंडी तणा चिरत सम,

जम तणा डांण घण रंग तणा जेम।

अंब तणा तरंग दध नभ तणा ऊंचपण,

त्रिजड़ धांधल तणा प्रवाड़ा तेम॥

अजण रा बांण जमरांण मन अंग रा,

गुरड़ रा गमण जिम नाथ रा ग्रंथ।

समंद रा धाप आकास रा माप सिध,

पाल रा किला उतराध रा पंथ॥

हेक कोळू तणो थान आसाहरा,

कमंध सिव थांन वड भलो कीधो।

कमळ ढळियां पछै सत्रां पाड़ै कितां।

सूर सुज मंडळ में जोध सीधो॥

स्रोत
  • पोथी : मेहा वीठू काव्य-संचै ,
  • सिरजक : मेहा बीठू ,
  • संपादक : गिरधर दान रतनू ‘दासोड़ी’ ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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