जैतो नै राव मालदे जोड़ै, जोड़ै भूप दहूं जग जेठ।
सो भरमार बगड़ी धर सोहै, पो सो भरो नचीता पेट॥
जोधांणो बगड़ी बेहूं जोड़ै, जोधा अखा सदा घर जोड़।
दीधो पटो भोगवै दूजा, रावां रा सारा राठौड़॥
पत जोधांण जैत नै पूछै, मो पर सदा राज री मेर।
मेड़तो ले दो म्हां नैं ही, वीरम हूंत सांभळौ वैर॥
जैतो कहै दहूं कर जोड़ै, खत्री नै मोटा आ खोड़।
भला कहै न तोड़ियां भायां, तुरकांणो को तो दूं तोड़॥
पोह सुण जाब कहै इम पाछो, वडां हूंत न करणौ वाद।
आपां रो रह जावै आंटो, दोनूं राह दियै नै दाद॥
मंत्री अरज करै आ मानो, भुज मुरधर थांरै भुजभार।
मेलै कंवर आप वो माहै, इण घर में थांरो इधकार॥
कूंपो विदा जैतसी कीधो, लसकर ले कमधज रे लार।
धर सिवियांण लीध धूहड़िये, सोढां सीस बजायो सार॥
बाहड़मेर कोटड़ै बेहूं, राधणनेर खाबड़ रो राव।
ऊमर कोट पारकर आंटो, ताबै हुआ पड़ंतै ताव॥
सूराचंद धाट ले सगळी, वस थिरियाद लियो कर वाय,
भाद्राजण जाळोर भेळिया, पालणपुरो लगायो पाय॥
सीरोही कीधौ डंड सिगळै, खेड़ सुपह वडा व्रद खाट।
मेड़तो ले दियो माल नै, वीरम नै कीधो दहवाट॥
ले वदनोर अजोगढ लीधो, गढ बावन भागो गुमर।
तिण दिन आंण मिल्यो चीत्तौड़ो, पगै लागोज जोधपुर॥
तोडौ टूंक कमालपुर तोड़ै, खीची डंड बुदेला खंड।
थांणो जाय चासटू थापै, डीग भरतपुर कीधो डंड॥
पाटणकोट जुझणरु पलटै, केमखांनियां दीधा काढ।
नारनोळ लीधी नजरांणै, चावळ करण महेवै चाढ॥
बंबाई खेतड़ी बुलाया, ताई नरवर खंडलो ताड़।
कछावां सगपण वां कीधो, धी बदळै राखी ढूंढाड़॥
सैंभर राखी धरती सगळी, अमर सूर रो दियो उठाय।
लूटै साल तोसीणो लीधो, मांझी अखै मंडावर मांय॥
परबतसर मारोठ पाळटै, अहिपुर ले लीधो डिडवांण।
दोलतपुरो कोळियो दोनूं, कूंपै राज कियो वीकांण॥
जैसलमेर देरावर जादव, पेसकारी दीये सोह पाय।
सिंध अमल हुवा सलखांरो, प्रथी लगै कारण पहराय॥
पूगल नै भटनेर परसिया, हंसी हंसार लेओय हेड़।
थरकै दिली मूंग जिम थाळी, खेड़ेचे उजावाळी खेड़॥
अलवर रिणथंबोर आगरै, वसु थपाड़ै अधूरा बाळ।
असपत नैंसा सो ऊपजियो, दीसै नह आडी देवाळ॥
महराजोत हुवो दळ मांझी, पंचाणोत जिकण री पूठ।
खागां पांण जितू धर खाटी, केवी जिता काढिया कूट॥
दूथणी जायो नको देखियो, अखवीहरां बराबर आज।
जेतो नै कूंपो जग जांणै, राव तणो बांधियो राज॥