डगमगै किम वाय डूंगर,
किम द्रू नासै तेज दिनंकर।
पित जै रांण सरण विज-पंजर,
अकबर सरिस मिळै किम अम्मर॥
पुळै पहाड़ न जोर पवन्ने,
अरके त्रास मुख सुतन उतन्ने।
गुर गहिलोत तणै कुळ गन्न,
मेवाड़ौ सत्र सव न मन्नै॥
वहै समीर अनड़ न डिगावै,
थिर नाकेस रवि त्रास न थावै।
देस उग्राहे धणीयां दावै,
ऊदाहरौ न ओळग आवै॥