बरस आद दिन चैत रै मास नर चत्रवरण, ध्यान जगमात निजरुत धावै।
देव वीसर अवर पूज जगदम्बका, गवर इसरतणा गीत गावै॥
त्रहूं पुर सहर गांवां पूरां चहूँ तरफ, नागदेवां नरां भाव भजनेव।
तवरता सकत नवधा भगत हुवैनित, दुलहि देवी वर महादेव॥
पूज जगमाता नवरात सेवा परम, प्रगट त्रहुं लोक जनमनवचन प्रीत।
इसा नह देव किणही वखे अवरा र, गवर रा त्रिपुर उछरंग उमंग गीत॥