जेसळमेर धणी राव जादव,

घण दळ सरस मचंतै घाय।

काल्हणहरो पड़ै कम सीसै,

पड़त फिरियो मिलकां पाय॥

असी लाख आलम-दळ ईखै,

सांहण लख आये सुरतांण।

भुरज-भुरज फिरियो राव भाटी,

दूदो नह फिरियो दीवांण॥

सुत जसहड़ सांमां सुरतांणै,

नित-नित ढोवा कटक नवीन।

क्रम राखण दीन्हा नव-कोटां,

दूदै धरम-द्वार नह दीन॥

स्रोत
  • पोथी : मुहता नैणसीं री ख्यात, भाग 2 ,
  • सिरजक : बोहड़ बीठू
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