देव दांणवे वडवडौ दावौ, लाख कोडैं कटक ल्यावौ।

धिणी जीवां तणा धावौ, भगत्तां भावौ।

जुडण जांबूदीपि जावौ, ढीक करिजौ कळह ठावौ।

आव आवौ आव आवौ, आलमा आवौ॥

चडौ वैगा सुरहि चेळा, साधुआं करिजै सचेळा।

लाछिवर सै देह लीला, किसन करि कीळा।

भलां आयां हुआँ भेळा, खत्री खेतल तणा खेळा।

महमहण रा असँख मेळा, मूंमणा मेळा॥

ईस अणवर ब्रह्म अत्ती, जांन साथै कोड जत्ती।

ग्यांन विणिया कान्ह गत्ती, साध मिळि सत्ती।

परणिजै त्रिभुवनपत्ती, भगतवछळ एण भत्ती।

मेघ किनिया रूपवती, रांम सां रत्ती॥

दईत पडिसै घणा दडदड, रूंड राकस तुंड रड़बड़।

खाग खासा वहै खड़खड़, त्रिगड़ां त्रड़त्रड़।

किलंग नां कूटिसै कड़कड़, भूक हुइसै किलंगरा भड़।

जवन काढै जवन री जड़, आलमौ अणघड़॥

लाछिवर हव लाख लसकर, घोड़िलां रौ करौ घूमर।

धिणीं नीली करीजै धर, पोखिया पळचर।

फबै फौजां चींध फरहर, साहिबा सिणगारसी धर।

पणै पीरौ निमो नरहर, सांमि तूं सधर॥

स्रोत
  • पोथी : पीरदान लालस-ग्रन्थावली ,
  • सिरजक : पीरदान लालस ,
  • संपादक : अगरचंद नाहटा ,
  • प्रकाशक : सादूळ राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट,बीकानेर
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