अमरसिंघ सीसोदिया रौ गीत
डगमगै किम वाय डूंगर, किम द्रू नासै तेज दिनंकर।
पित जै रांण सरण विज-पंजर, अकबर सरिस मिळै किम अम्मर॥
पुळै पहाड़ न जोर पवन्ने, अरके त्रास मुख सुतन उतन्ने।
गुर गहिलोत तणै कुळ गन्नै, मेवाड़ौ सत्र सव न मन्नै॥
वहै समीर अनड़ न डिगावै, थिर नाकेस रवि त्रास न थावै।
देस उग्राहे धणीयां दावै, ऊदाहरौ न ओळग आवै॥