तारियो अजामिल सजन ते तारियो, गीध ऊभारियो वेद गावे।

रखावण विरद गिरवर नखां धारियो, सदा भगतां तणा काज सारे॥

बारहठ चत्रभुज करै यूं वीनती, दीन ती अधारे कांन दीजै।

सरब दुख मेट म्हारो अनै सांवरा, क्रपा कर आपरे थकौ कीजै॥

ऊधारे कीर काळू कुटम आपरौ, लहै कुण आपरा गुणां लेखौ।

रमापति राज रा विरद राखौ रिघू, दसा मो दीन री ओर देखो॥

स्रोत
  • पोथी : मध्यकालीन चारण काव्य ,
  • सिरजक : चतुर्भुज बारहठ ,
  • संपादक : जगमोहन सिंह ,
  • प्रकाशक : मयंक प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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