मधकीटक मौत वडा जुध मांडण, गांजण असुर उधारण गोह।
रांमण नै महिरांमण रेसण, दईंतां तणै मरण री डोह॥1
खंड डंडूळ सरीखा खापर, वळै अगासुर कंस वहि।
कितरा दैत कूटिया केसव, कवियण दाखै साच कहि॥2
बळिराजा बांधण बहनांमी, प्रांधण वेढि किलंग सा पीर।
समरासुर संगठासुर साझण, भारथ करण भगत री भीर॥3
बांणासुर सरिखां हटिया बळ, नरकासुर गिळिया निरकार।
किमि करि पीर करै करणा कर, कळहां रौ लेखौ करतार॥4