हुयै परा हरीयाळ हरीयाळ करि मनोहर,
जायै पातिगि परा धरम जागै।
जीव नव खंडरा रिजकि मागै जुऔ,
मेह करि गावडै घास मागै॥
वंस अजुआळ प्रतिपाळ थे वीठला,
रांमचंद राजि मुर भुवण राईआ।
पुरांणा डोकरा अरज सांभळि परी,
भाँजिहौ भांजि भैंचक भाईया॥
केई सरवर भरौ नयै सुभर करौ,
क्रिपा करि क्रिपा करि किसन कलियांण।
मेह री ढील राखौ हिमैं महमहण,
आप नां सरव भगतां तणी आंण॥
करौ जगि छेळ हव छतौ हू केसवा,
नवै घातौ नदै निरमळा नीर।
धणी सुर जेठ..........ण....ध्रवौ,
प्रमेसर राज नां पयंपै पीर॥