अतुळी-बळ “अमर” सहियौ ओकर,

साहि आलम आगळै सनाढ।

मुगल कुबोल बोलियो मौड़ौ

जड़ियो तैं बेगौ जम-दाढ॥

गजसिंघौतकमंध नर गाढिम,

ततखिण माचवियौ रण ताळ।

दु-वयणं वयण काढियो दुआ-सूं

प्रिसण परां काढी प्रतमाळ॥

कानां लगे हेक जो कु-वयण,

कमध भला बांधतौ कड़ि।

पूंचा लगै भुजा-डंड पेळी,

धाराळी अरि तणै धड़ि॥

असपत राव सनमुख अणियाळी,

“अमर” जु तैं वाही अवसांण।

कु-वयण कमळ वाय हंस के वी,

अै क्रम नीसरिया आरांण॥

सूरत छोह निमौ नव-सहसा,

खमियौ कुबोळ खत्रि गुर।

मरण तणै प्रब भला मरिया,

अेकण कटारी बहु असुर॥

स्रोत
  • पोथी : गाडण केसोदास ,
  • सिरजक : गाडण केसोदास ,
  • संपादक : बद्रीदान गाडण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : प्रथम