धर्म्म नीरूपन कर्यौ, महाभारत मुख भाख्यौ।
वेद विभाग विचार विधूर, विमंडल राख्यौ।
वेद व्यास विख्यात, कृष्ण द्वैपायन कह्यौ।
तीन भुवन तप सिद्धि, लोक अमर पद लहयौ॥