कोण गाम कुण ठाम पूज्यते कहो मुझ आगल।
तेव रुसि कहे छे बात देस नामे छे कोसल।
नगर अयोध्या धनीवंस इस्वाक मनोहर।
राज्य करे दसरथ सुत तेहना सुंदर।
राज्य आप्पु भरत ने वनवास जथ पोरा मने।
सती सीतल लक्ष्मण समो सोळ वरस दंडक वने।
तव दसवदनो हरी रामनी राणि सीता।
युद्धे करीस जथया राम लक्ष्मण दो भ्राता।
हणुमत सुग्रीव घणा सहकारी कीधा।
के विद्याधर तना घनी ते साथे लीधा।
युद्ध करी रावण हणी सीता लई घर आवया।
महीचन्द्र कहे तेह पुन्य थी जगमाहि जस पामया।
सीता परघर रही तेह थी थयो अपवादह।
रामे मूकी वने कीधो महाप्रमादह।
रोदन करे विलाप अेकली जंगळ जेहवे।
वज्रजघ नृप अेह पुन्य थि आव्यो ते हवे।
भगनि करि घर लाव्यो, तेहथि तुम्ह दो सुत थया।
भाग्ये अेह पद पामया वज्रजघ पद प्रणामया।