राम वार्‌यो सदा रहो भ्राता तह्मे में छाना।

केहनो नहिं छे वाकलोक अपवाद जनान्हा।

सावु हुवुं लोक नहीं कोई निश्चय जाने।

यद्वा तद्वा कर्‌यु तेज खल जन सहु मानें।

अेम विचार करी तदा निज अपवाद निवारवा।

सेनापति रथ जोड़िने लइ जावो वन घालवा॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के जैन संत: व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : भट्टारक महीचन्द्र ,
  • संपादक : डॉ. कस्तूरीचंद कासलीवाल ,
  • प्रकाशक : गैंदीलाल शाह एडवोकेट, श्री दिगम्बर जैन अखिल क्षेत्र श्रीमहावीरजी, जयपुर