राम वार्यो सदा रहो भ्राता तह्मे में छाना।
केहनो नहिं छे वाकलोक अपवाद जनान्हा।
सावु हुवुं लोक नहीं कोई निश्चय जाने।
यद्वा तद्वा कर्यु तेज खल जन सहु मानें।
अेम विचार करी तदा निज अपवाद निवारवा।
सेनापति रथ जोड़िने लइ जावो वन घालवा॥