जहर विखम जारंग भुजां धारंग भुजंगम।
भाल तेज भारंग जरा हारंग लसे जम।
वर अनेक वारंग पाव वंदै सुरपत्ती।
पावण करि पारंग त्रिपुर नारंग सकत्ती।
तारंग मंत्र आदेस तो, दिढ़चा रंग निस संधि दिव।
सारंग नयण उमया सुवर, सीम गंग धारंग सिव॥