राम नाम तत सार राम महंकाल अभ्यासन।

राम नाम ततसार सदा वंदित कमलासन।

राम नाम ततसार जपित सहस्त्राखि विलासिय।

विश्वेश्वर तारका मंत्र कासि कविलासिय।

परजतन जटिल सतांत धुनि मुनि अनत चिंतति चरन।

कहि कुंभकर्न वर्नन विमल राम नाम असरन सरन॥

स्रोत
  • पोथी : रतन रासौ (कुंभकरण सांदू) ,
  • सिरजक : कुंभकरण सांदू ,
  • संपादक : नारायण सिंह सांदू ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध-केन्द्र, दुर्ग, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम