दैव भाव नृप दादि दास सत्रु निसौं देष्षीय,

प्रभु प्रताप अवचिंतवयर वस क्रोध विशेष्षीय।

दयादंड अनुसार देव दानव प्रमान कीय,

इहि कारन अंसावतार भुवभार विनासीय।

जिहिं आदिन मध्यन अंत कहुं कवि नरहर यौं वेद कहि,

पृथु भयौ देव त्रइलोक पति महाराज अवतार महि॥

स्रोत
  • पोथी : नरहरिदास बारहठ ,
  • सिरजक : नरहरिदास बारहठ ,
  • संपादक : सद्दीक मोहम्मद ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम