पलिंग पिंड परहरै प्रवित धरती पाधारै।
सयण दूर संचरै वयण वल्लभ वीसारै।
हुवै अत्थि परहत्थि हुवै हलो चालै।
बेड़ी फटिक कुकठ जांणि सार्मंद्र विचालै।
उर सद नकौ पर सद दियै बहै नकौ वाह स वयण।
तिणि वार नाम तारण तरण ‘नंद’ समाये नारियण॥