पगां गंगजळ प्रघळ बिंब कछनी पीतांबर।

कवसति मणि वयजंती संख चक गदा पदमधर।

सुंदर तन घनस्यांम भुजा आजांन चतुरभुज।

कुंडळ तिलक मणिमुकुट धरण भ्रिगुलता गरुड़ध्वज।

मुख मंद हास आणंदमय, आराधित अहि नर अमर।

दंडव्रत तूझ मारण दयत, वारण तारण लच्छिवर॥

स्रोत
  • पोथी : सूरजप्रकास ,
  • सिरजक : करणीदान कविया ,
  • संपादक : सीताराम लालस ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण