नाम काजि नारियण चीर द्रोवै वद्धारे।
नाम काजि नारियण सिंघ होइ साध ऊबारे।
नाम काजि नारियण लंक गढ़ लेह समप्पे।
नाम काजि नारियण थान अविचळ ध्रू थप्पे।
चे जपै नाम ते निसतरै गंजै तांह न कोई गण।
‘नांदीयौ’ कहै भूलां नरां नाम न छाडौ नारियण॥