मुगति दियण महमहण भुगति पूर दुख भंजण।
भूधर चेवै भूषण मौहि मुंहड़ै जै मज्जण।
अेती क्यौं आंगमण जोति पिंड मांहि जणोजण।
लेखा सिगले लियण लखे कौ सकै न लक्खण।
घण घणा घाट भंजण घड़ण लाछि सुवर लंका लियण।
‘नंद’ पात्र पयंपै नारयण सहस नाम तों पाइ सरण॥