कोळूमढ़ सूं आव। वचन सुण ने मो वाळा।

कारीयात सूं कमध। भीर आवे भालाळा।

वळमढ़ ध्रांगड़वास, हूंत सुण आवे हेलो।

कमध चढ़े काळवी। आव मो करण उवेलो।

चाचरै हूंत सावळ सुणे। ग्रहण भीड़ मेटण घणी।

काळवी चढ़े ऊपर करण। धांधलोत आवो धणी॥

स्रोत
  • पोथी : पाबूप्रकास-महाकाव्य ,
  • सिरजक : मोडजी आशिया ,
  • संपादक : शंकर सिंह आशिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम