मारवाड़ रो माल, मुफत में खावै मोडा।

सेवक जोसी सेंग, गरीबां दै नित गोडा।

दाता दै वित दांन, मौज मांणै मुरसंड़ा।

लाखां लै धन लूट, पूतळी पूजक पंडा।

जटा कनफटा जोगटा, खाखी पर धन खावणा।

मरुधर में कोड़ां मिनख, करसा एक कमावणा॥

फबे जूत सिर फूल, पत्र सोइ पटक पछाड़ै।

फळ ढूंगां में फाड, तोय बांसां सूं ताड़ै।

धक्का मुंक्की धूप, दीप लातां रौ देवै।

नाक भांग नैवेद, साध पद इण बिध सेवै।

घट मार दंड घंटा घुरे, ठीक कळेजौ ठारती।

उतारे कोइक सेवक इसा, आं संतां री आरती॥

स्रोत
  • पोथी : ऊमरदान-ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ऊमरदान लालस ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : तृतीय