जीत होई जुग सहस तते अंजस तप किज्जै।
विना दम्भ वसि होइ कसट परकाज सहिज्जै।
कोटि भार कुरखेति रुकम दीजै रवि संकट।
गलियै जाइ हेमगिरि धाट लंघे घट औघट।
दुरभेख अंन दीजै प्रघळ ले कन्याहळ लख्ख दह।
केसव्व तुहाळा कीरतन पासंग नांवै पंन सह॥