कुस बसाय कसमीर राज रोतस रोतासै।

सिवर त्रप ग्वालेर नल-स नरवल निकासै।

द्यौसा ईसैसिंघ राज काकिल आंबावति।

हणू तास वति होय जाणि जनरस हणवत।

भये तास पजवन सुत दसहौं दिसि भूपति बलन।

धरा ढुंढाहड़ तास के भये मलैसी अरि-दलन॥

स्रोत
  • पोथी : प्रताप-रासो ,
  • सिरजक : जाचीक जीवण ,
  • संपादक : मोतीलाल गुप्त ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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