सहस वर्ष छतीस राजनिह कंटक करयौ,

जाकै नीति प्रभाव धर्म चहु पद अनुसरयौ।

राजयोग सद्धयो कहूं अनुरागन कीनौ,

ज्यौं जल जलज संयोग चरन पंकज चित दीनौ।

सुरगन सहाय नरहर कवि, जय जय जय जगदीस जय,

ध्रु ववरद नाम जग उद्धरन, इहि कारन अवतार भय॥

स्रोत
  • पोथी : नरहरिदास बारहठ ,
  • सिरजक : नरहरिदास बारहठ ,
  • संपादक : सद्दीक मोहम्मद ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम