देवल-पाबू दखां, वंस दीपक वरदाई।
बेहूं भाई-बैन, रमै चौवटे सदाई।
जोड हूंत घोड़ियां, दौड़ आथण री आई।
बेहूँ विचै बाळका, देवअंबा दीठाई।
महल सातमें माळ, बांह ओथ सां वधारी।
ग्रहे बाळ लिय गोद, लखै कमळा दे सारी।
वधारी बांह देखै बहु, घट रांणी संभ्रम घणां।
सांपरत उणीपुळ सगत रौ, जांणलियौ देवत पणौ॥