अरजण हुतो अगै। बढ़ण जदुपत बिरदायौ।

निपट अगै ज्वाळनळ। पवन वाळौ बळ पायौ।

गोरख हुतो अगै। गुरू माछंदर धारे।

दहण सेन दांणवी। हणू कन रांम हकारै।

करण माहाबळ करण। अगै कुरुपत ऊचरणै।

अगै पाल राठोड़। वळै मोडौकव वरणै।

कळसीस नांम अवचल करण। सूरज तेरै साख रो।

भालाळ तणौ रूपण भणूं। जो बांधव नवलाख रो॥

स्रोत
  • पोथी : पाबूप्रकास-महाकाव्य ,
  • सिरजक : मोडजी आशिया ,
  • संपादक : शंकर सिंह आशिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम