अंतरौ थळी सुमेर, नाडी अर मानसरोवर।

अंतरौ हंस’र काग, अंतरौ तुरंगम अर खर।

अंतरौ पायक पात्यसाह, अंतरौ तारा अर सिसिहर।

अंतरौ आक’र अंब, अंतरौ चंदण अर नखतर।

काच कथीर कंचण हीर, अहनिस जिसौ पटंतरौ।

और गुरां अर झंभ गुर, सूर अंधेरे अंतरौ।

जैसे मरूभूमि और पर्वत में, छोटा तालाब और मानसरोवर में, हंस और कौआ में, घोड़ा और गधा में, प्रजा और राजा में,आक और आम में, चन्र्दमा एवं नक्षत्र में, सोणा हीरा में, दिन रात में, सूर्य एवं अंधेरे में अंतर है। वैसे ही दूसरे गुरुओं और सतगुरु जाम्भोजी में अंतर है।

स्रोत
  • पोथी : वील्होजी की वाणी ,
  • सिरजक : वील्होजी ,
  • संपादक : कृष्णलाल बिश्नोई ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : तृतीय